प्रिय छात्रों, हम यहाँ आपको शब्दरूप संस्कृत के याद करने का सरल तरीका बताएँगे ।
आप सभी जानते ही हो कि संस्कृत में शब्दरूप याद करना बहुत भारी पड़ता है । और ये कुछ हद तक है भी । किन्तु कुछ तरीके जरूर हैं कि ये सरल हो जाएँ ।
प्रारंभिक कक्षाओं में आपको ये रूप तो याद करने ही पड़ते हैं ............. राम, नदी, बालिका, मति, साधु, दधि आदि ।
राम के रूप याद करने के लिए ये श्लोक है जिसे याद कर लो तो अपने आप ही शीघ्र एकवचन वाले कॉलम के रूप याद हो जाते हैं ।
आनन्द की बात ये है कि यह एक प्रार्थना भी है जिससे आपकी प्रार्थना भी इससे हो जाती है :
रामो राजमणिः सदा विजयते, रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू, रामाय तस्मै नमः ।।
रामन्नास्ति परायणं परतरं, रामस्य दासोऽस्म्यहम् ।
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे, हे राम मां पालय ।।
इसमें क्रम से जो रामो, रामं, रामेण, रामाय, रामात् (जो संधि होकर रामान्नास्ति बन गया है), रामस्य, रामे, हे राम, ये सब शब्द आए हैं वे राम शब्द के एकवचन के सातों विभक्तियों और सम्बोधन के रूप हैं ।
अब आप पूछेंगे कि इसे याद करने से क्या लाभ इससे तो केवल एक ही कॉलम याद हुआ । तो इसका उत्तर ये है कि आप जब एक कॉलम याद कर लेते हैं तो आप उसी को आधार बनाकर बाकी के रूप मन में जोड़कर जल्दी याद कर सकते हैं ।
वैसे भी पहली दो लाइनें (विभक्तियाँ) तो आपको याद रहती ही हैं (देखो अब ये न कहना कि याद नहीं हैं) क्योंकि उनको गाकर तो आपसे राम के रूप याद करने को कहा ही जाता है ।
अच्छा अगर किसी को याद न भी होते हों तो वो भी यही कहता है कि मुझे रामः रामौ रामाः याद करना बड़ा कठिन लगता है । कहने का मतलब है कि उसे भी पहली दूसरी विभक्ति तो अपना बहाना बना बनाकर ही याद हो जाती है । तो आपको क्यों नहीं हो सकती ।
फिर आते हैं नदी के रूप । ये रूप नदी नद्यौ नद्यः, नदीं नद्यौ नदीः, इस तरह चलते हैं । हम आपको इसकी पहली लाइन की तुलना राम के रूप से करने को कहेंगे ।
रामः (नदी), रामौ (नद्यौ), रामाः (नद्यः) । देखो इसमें पहला शब्द तो यथावत् (जैसा का तैसा है), दूसरे शब्द में औ जुड़ा है । राम में औ जोड़ने से रामौ किया और नदी में जोड़ा तो नदीऔ होना चाहिए था लेकिन जब आप
नदीऔ नदीऔ बार बार बोलेंगे तो आपको नद्यौ ही सुनाई देगा । तो हुआ न ये रूप समान । ये सन्धि जैसा ही है । फिर रामाः से नद्यः की तुलना कीजिए । इसमें राम के साथ अः जुड़ा है जो सन्धि होकर बड़ा आ हो जाता है रामाः ।
यदि आप इसी अः को नदी से जोड़ेंगे तो सन्धि होकर नद्यः बन जाएगा । हुआ न ये रूप समान । फिर इसी तरह नदीम् (रामम्), नद्यौ (रामौ), नदीः (रामान्) को देखिए ।
इसमें केवल नदीः और रामान् में भिन्नता है । ये भिन्नता आपको याद करनी होगी । और आगे के रूप भी आपको याद करने होंगे । परन्तु एक बार नदी के रूप याद कर लेंगे तो आपको
मति और साधु के रूप याद करना बहुत आसान हो जाएँगे ।
यदि आपको ऐसी और भी सरल विधियाँ चाहिए हों तो कमैन्ट करके बताएँ ।
धन्यवाद ।